सलीक़े से हवाओं में, जो ख़ुशबू घोल देते हैं,
अभी कुछ लोग ज़िंदा हैं, जो मीठा बोल देते हैं
किसी से जब भी मिलते हैं मुहब्बत से वो मिलते हैं
मधुर वाणी से वो रिश्तों में, खुशियाँ घोल देते है -2
सभी रंगों में ढल जाना , सभी का प्यार मिल जाना
कभी फूलों के मौसम से सुरीले तार मिल जाना
नहीं सकती थका मुझको उमर और ये भरी दुनिया
कभी नदियों की ख़ातिर सागर खुदको खोल देते हैं -2
कभी सागर के बिखरे बून्द भी मोती के जैसे हैं
कभी मिट्टी के जगमग दीप में बाती के जैसे हैं
कभी आकाश पे उड़ते थे कागज़ के जहाज अपने
वही सच्ची अमीरी थी, तुझे हम बोल देते हैं -2
दिखाते हैं नए तेवर नई दौलत के मतवाले
जो होते खानदानी वो , बड़े होते हैं दिलवाले
गुमा दौलत पे है जिनको,तो शम्भु सख़्त है उनपर
ये झूठी शान वाले पोल , अपनी खोल देते हैं -2